समाज | 3-मिनट में पढ़ें
खेती को उत्तम कहने वाला किसान अब नौकरी की लाइन में क्यों लगा है?
देश में किसानों के साथ मार्केटिंग की बड़ी समस्या है. जितना नुकसान उन्हें मौसम की मार पहुंचाती है उससे कहीं ज्यादा बिचौलिए पहुंचाते हैं, जो किसानों की फ़सल को अनाप-शनाप, औने-पौने दाम में खरीदते हैं. हालांकि अब पहले से कुछ ठीक हुआ है. ई-हाट की जो स्कीम शुरू हुई उसमें काफी मंडी जुड़ी हुई हैं, जिससे किसानों की पहुंच बढ़ी है और बिचौलियों का रोल थोड़ा कम हुआ है.
समाज | 2-मिनट में पढ़ें
ह्यूमर | 4-मिनट में पढ़ें
पंजाब के किसानों की कीमत 1500, मैटर बहुत शर्मनाक है...
दिल्ली में धरना दे रहे किसान सशक्त हों, इसलिए पंजाब में पंचायत हुई है और धरने के लिए दिल्ली न जाने वाले पर 1500 का जुर्माना लगाने की बात हुई है. पंजाब के किसानों की कीमत अगर सिर्फ 1500 रुपए है, तो ये वाक़ई बहुत शर्मनाक है. और वहां पंचायत को फिर से इसके लिए एक पंचायत करनी चाहिए.
ह्यूमर | 6-मिनट में पढ़ें
दिल्ली शहर में म्हारो ट्रैक्टरो जो घुम्यो, हां घुम्यो!
किसान आंदोलन (Farmer Protest) के नाम पर हुई हिंसा के बाद तमाम लानत-मलानत ट्रैक्टर को झेलनी पड़ रही है. लेकिन कभी उस भोले प्राणी की आंखों में झांका? अरे, बचपन से ही जो मिट्टी में खेलता रहा, जिसकी खेतों से यारियां रहीं, शहर में पांव धरते ही उसकी तमन्नाएं जरा सी भी न मचलेंगीं क्या?
ह्यूमर | 6-मिनट में पढ़ें
'किसान कांड' के बाद ट्रैक्टर भले ही दबंग बन गया हो, मगर बेइज्जती भी तबीयत से हुई
दिल्ली में ट्रैक्टर की गुस्ताखी देखकर बाकी गाड़ियों का हाल तो कुछ ऐसा है कि ई-रिक्शा जिसकी कोई औकात नहीं, लाल किले वाली घटना के बाद ट्रैक्टर को एंटी नेशनल, अर्बन नक्सल, खालिस्तानी आतंकी, और न जाने क्या क्या बता रहा है. वहीं ऑटो ने इसे केंद्र सरकार और मोदी के खिलाफ बड़ी साजिश मानकर बहस को विराम देने की कोशिश की.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें
किसानों ने ट्रैक्टर परेड की ज़िद करके खुद के पैरों पर ही कुल्हाड़ी मार ली है
दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर किसान ट्रैक्टर परेड निकाल कर बहुत कुछ हासिल कर लेना चाह रहे थे, लेकिन दांव उल्टा पड़ गया और किसान ने पिछले दो महीने में जितनी भी जनभावनाएं जोड़ी थी सब गंवा बैठे. किसानों में फूट पड़ चुकी है यानी ये आंदोलन अब बहुत लंबे समय तक नहीं टिकने वाला है.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें
कांग्रेस स्थापना दिवस को छोड़ इटली जा रहे राहुल गांधी पर सवाल क्यों न खड़े हों?
कांग्रेस पार्टी अपना 136वां स्थापना दिवस (Congress Party Foundation Day) मना रही है और पार्टी के बड़े नेता (Rahul Gandhi) देश से बाहर चले गए हैं. सवाल उठना लाज़िमी है कि आख़िर ऐसा भी क्या ज़रूरी काम रहा होगा जिसके आगे पार्टी का स्थापना दिवस कार्यक्रम और किसान आंदोलन जैसे मौके नजरअंदाज किए जा रहे हैं.
सोशल मीडिया | 5-मिनट में पढ़ें






